Wednesday, August 12, 2015

गुमशुदा

ग़मों से, ख़ुशी से
जुदा हो जाएँ
चलो आज हम
गुमशुदा हो जाएँ

चले जाएँ राहों को अपना बनाते
सपने जला के धुएँ में उड़ाते
किसी के लिए इंसान रहें तो
किसी के लिए हम
खुदा हो जाएँ
चलो आज हम
गुमशुदा हो जाएँ

किसी क़ैद से छूट कर भागते हैं
ख्वाबों में ही सोते और जागते हैं
इसी रात में सिलसिले ऐसे हों कि
सफर नींदों का
जाँविदा हो जाएँ
चलो आज हम
गुमशुदा हो जाएँ।

Manasvi
11th August 2015

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