Saturday, July 22, 2017

मैं मौसम के साथ चलूँ

मैं मौसम के साथ चलूँ
और मौसम मेरे साथ चले
ढलता जाऊँ मैं हर पल में
मैं बदलूँ जब ये बदले

बादल बन उड़ जाऊँ हवा में
बारिश बन वापस आ जाऊँ
फिर गरमी में लू बनूँ
तपूँ अगन सा सुलगाऊँ
सर्दी में सिहरन बन कर फिर
साँस मेरी कोहरे में ढले

पर इक दिन थक कर बैठूँगा
मन बोलेगा अब और नहीं
जो बदले हर मौसम ऐसे
होता उसका कोई ठौर नहीं
तू चुन ले तू क्या चाहेगा
उमर चुने, उस से पहले

- Manasvi

21 May 2017

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